छह सदस्यों के शव देख बूढे मां-बाप का बैठा दिल, आस-पड़ोस के लोग भी जनाजे में पहुंचे
पानीपत : अब्दुल करीम और उसके परिवार के सभी छह सदस्यों के शव शनिवार सुबह उसके पैतृक गांव गैसल पहुंचे तो आसपास के गांवों के लोग भी पहुंच गए। बेटे-बहू और चारों पोते-पोतियों के शवों को देखकर अब्दुल के पिता सुलतान और मां बिलख-बिलखकर रोने लगे। बार-बार यही कह रहे थे वे परिवार का पालन पोषण करने के लिए पानीपत गए थे। उनको नहीं पता था वापस उनके शव आएंगे। अल्लाह ने यह क्या कर दिया? उनके रो-रोकर आंसू तक सूख आए थे और शवों से लिपट गए।ग्रामीणों और आसपास के ग्रामीणों ने करीम के बूढे मां-बाप और दूसरे सदस्यों को ढांढस बंधाया। रेहान ने बताया कि पानीपत से उत्तर दिनाजपुर-बंगाल के गांव गैसल में सुबह करीब साढ़े आठ बजे पहुंचे। लंबा रास्ता होने के चलते कई बार परेशानी भी आई, लेकिन सबको अपने गांव की मिट्टी देनी थी।
गांव में पहुंचे तो एंबुलेंस को देखकर आसपास के गांवों के लोग भी पहुंच गए। स्थानीय पुलिस की तीन गाड़ियां गांव में पहुंचीं। पुलिस ने लोगों को संभाला। सभी छह सदस्यों के शवों को घर ले जाया गया। पहले शवों को कब्रिस्तान में ले जाना था, लेकिन परिवार के सदस्य और रिश्तेदार शवों को घर लाने की कहने लगे। परिवार के सदस्यों और आसपास के लोगों को संभालना मुश्किल हो गया।
पहले अब्दुल और फिर पत्नी को दी मिट्टी
रेहान ने बताया कि सबको अलग-अलग कब्र में दफनाया गया है। पहले अब्दुल करीम, फिर अफरोजा, उसके बाद चारों बच्चों को उम्र के हिसाब से मिट्टी दी गई। उनके जनाजे में आसपास के काफी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। इसके बाद भी लोगों का आना-जाना रहा।
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