Analysis: क्या गुजरात के लिए भाजपा ने कुर्बान कर दी दिल्ली? समझें भगवा पार्टी की बंपर जीत के मायने

Analysis: क्या गुजरात के लिए भाजपा ने कुर्बान कर दी दिल्ली? समझें भगवा पार्टी की बंपर जीत के मायने

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सार

गुजरात विधानसभा चुनाव के रुझान सामने आ चुके हैं और अब इनका सीधा कनेक्शन दिल्ली नगर निगम के नतीजों से जुड़ रहा है। क्या हैं इसके मायने? क्या भाजपा-आप ने मिलकर कांग्रेस को तगड़ी चोट दी या कुछ और? समझें यहां…

 

विस्तार

गुजरात विधानसभा की सभी 182 सीटों के शुरुआती रुझान सामने आ चुके हैं। इसके हिसाब से भाजपा 150 सीटों पर बढ़त बना रखी है, जबकि कांग्रेस सिर्फ 19 सीटों पर ही सिमटती हुई नजर आ रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी की झोली में नौ सीटें दिख रही हैं तो निर्दलियों ने चार सीटों पर बढ़त बना रखी है। गुजरात में भाजपा की इस बंपर बढ़त ने कई अटकलों को हवा दे दी है। इनमें से सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर है कि क्या भाजपा ने गुजरात के लिए दिल्ली कुर्बान कर दी? ऐसा कैसे हुआ, जानते और समझते हैं इस खास एनालिसिस में….

Analysis: क्या गुजरात के लिए भाजपा ने कुर्बान कर दी दिल्ली? समझें भगवा पार्टी की बंपर जीत के मायने

Kumar Sambhava Jainकुमार सम्भव जैन
Updated Thu, 08 Dec 2022 11:09 AM IST
सार

गुजरात विधानसभा चुनाव के रुझान सामने आ चुके हैं और अब इनका सीधा कनेक्शन दिल्ली नगर निगम के नतीजों से जुड़ रहा है। क्या हैं इसके मायने? क्या भाजपा-आप ने मिलकर कांग्रेस को तगड़ी चोट दी या कुछ और? समझें यहां…

खास रिपोर्ट में पढ़ें गुजरात और एमसीडी चुनाव का कनेक्शन

खास रिपोर्ट में पढ़ें गुजरात और एमसीडी चुनाव का कनेक्शन – फोटो : अमर उजाला

विस्तार

गुजरात विधानसभा की सभी 182 सीटों के शुरुआती रुझान सामने आ चुके हैं। इसके हिसाब से भाजपा 150 सीटों पर बढ़त बना रखी है, जबकि कांग्रेस सिर्फ 19 सीटों पर ही सिमटती हुई नजर आ रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी की झोली में नौ सीटें दिख रही हैं तो निर्दलियों ने चार सीटों पर बढ़त बना रखी है। गुजरात में भाजपा की इस बंपर बढ़त ने कई अटकलों को हवा दे दी है। इनमें से सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर है कि क्या भाजपा ने गुजरात के लिए दिल्ली कुर्बान कर दी? ऐसा कैसे हुआ, जानते और समझते हैं इस खास एनालिसिस में..

गुजरात में क्या है ताजा हाल?

एग्जिट पोल्स में गुजरात को लेकर जिस तरह का अनुमान जताया गया था, शुरुआती रुझान उससे एक कदम आगे नजर आए। गुजरात के अधिकतर एग्जिट पोल्स में भाजपा को 110 से 151 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। शुरुआती रुझान में भाजपा 150 सीटें हासिल करती नजर आ रही है। अगर भाजपा इन रुझान को नतीजों में बदलने में कामयाब होती है तो वह 2002 का अपना ही रिकॉर्ड ध्वस्त कर देगी। उस दौरान विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 127 सीटें जीती थीं। हालांकि, एग्जिट पोल कांग्रेस की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। शुरुआती रुझान में कांग्रेस 19 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है, जबकि एग्जिट पोल में कांग्रेस को 16 से 60 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। उधर, आप आदमी पार्टी का प्रदर्शन एग्जिट पोल्स के आसपास ही है। आप को एक से 21 सीटें मिलने का अनुमान था और पार्टी ने नौ सीटों पर बढ़त बना रखी है।

दिल्ली में ऐसे रहे नतीजे?

अब हम दिल्ली नगर निगम के नतीजों पर गौर कर लेते हैं। दिल्ली के 250 वार्ड में आम आदमी पार्टी ने 134 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा 104 सीटों पर ही सिमट गई। वहीं, कांग्रेस सिर्फ नौ सीटें ही अपनी झोली में डाल सकी तो तीन सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में रहीं। इसका नतीजा यह रहा कि आम आदमी पार्टी अपने दूसरे ही चुनाव में एमसीडी की सत्ता पर काबिज हो गई, जबकि 15 साल बाद नगर निगम से भाजपा की विदाई हो गई। उधर, कांग्रेस की स्थिति 2017 के चुनाव के मुकाबले और ज्यादा दयनीय हो गई।

भाजपा ने कैसे कुर्बान की दिल्ली?

अब सवाल उठता है कि भाजपा ने गुजरात के लिए दिल्ली कैसे कुर्बान कर दी? दरअसल, सीधे तौर पर भले ही कुछ नजर न आता हो, लेकिन राजनीतिक नजरिए से देखें तो कहानी खुद-ब-खुद हकीकत बयां करती नजर आती है। दरअसल, एमसीडी चुनाव के दौरान भाजपा पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरी ही नहीं। आलम यह रहा कि एमसीडी में कमल खिलाने के लिए पीएम मोदी ने एक भी रैली नहीं की। वहीं, अमित शाह अपनी ही रैली में आखिरी वक्त पर नहीं पहुंचे थे। दिल्ली का जिम्मा सिर्फ राजनाथ सिंह, गौतम गंभीर समेत अन्य नेताओं पर छोड़ दिया गया। उधर, गुजरात में भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 से ज्यादा रैलियां कीं और राज्य की 134 विधानसभा सीटों को कवर किया। हालांकि, सबसे खास अहमदाबाद का 50 किलोमीटर लंबा रोड शो रहा। वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने 23 रैलियों के माध्यम से 108 सीटों को घेरते दिखे। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के मुख्य चेहरा रहे अरविंद केजरीवाल शुरुआती दौर में गुजरात में ताल ठोंकते दिखाई दिए, लेकिन दूसरे चरण के मतदान से पहले उनके हाव-भाव ऐसे रहे, जैसे उन्होंने गुजरात के सियासी मैदान में हथियार डाल दिए। उन्होंने पूरा फोकस दिल्ली की तरफ कर लिया। वहीं, केजरीवाल का रुख देखने के बाद भी भाजपा ने दिल्ली पर ध्यान नहीं दिया और गुजरात पर पूरा जोर लगाए रखा।

आप से गुजरात में किसे हुआ नुकसान?

अब सवाल उठता है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी के सिर्फ ताल ठोंकने से किसे फायदा और किसे नुकसान पहुंचा? अगर सीधे तौर पर देखा जाए तो यहां सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा। दरअसल, गुजरात चुनाव में पहली बार किस्मत आजमा रही आम आदमी पार्टी को 13.2 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ, जबकि भाजपा की झोली में 53.5 फीसदी वोट शेयर आ गया। यहां कांग्रेस का वोट शेयर 26.7 फीसदी ही रह गया, जो 2017 के चुनाव में 41.4 फीसदी था।

चोट सिर्फ कांग्रेस को लगी?

बात गुजरात विधानसभा चुनाव की हो या दिल्ली एमसीडी की, तगड़ी चोट सिर्फ कांग्रेस को लगी है। दोनों जगह के नतीजों से यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा और आम आदमी पार्टी के सामने अब कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई है। एमसीडी के साथ-साथ गुजरात में भी कांग्रेस की न सिर्फ सीटें घटीं, बल्कि उसके वोट शेयर में भी काफी गिरावट आ गई। इसकी सीधी वजह कांग्रेस के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं होना है, जो दोनों ही चुनावों में पार्टी के लिए दम दिखा पाता।

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